Author: Rajni Sharma
Abstract:
à¤à¤¾à¤°à¤¤ को देव à¤à¥‚मि कहा जाता है। इस पर अनेक देवी देवताओ योगी, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ महापà¥à¤°à¤·à¥‹ व ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤“ ने जनम लिया है। इन ऋषिओ में à¤à¤• महान ऋषि हà¥à¤ है अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤µà¤•à¥à¤°à¥¤ इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤µà¤•à¥à¤° गीता को लिखा जो कि अदà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¯ वेदांत गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¤—वदगीता उपनिषद पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¤®à¤¸à¥‚तà¥à¤° आदि कि समान अमूलà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। इसमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वैरागà¥à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवन समाधिसà¥à¤¥ योगी आदि दशाओ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से वरà¥à¤£à¤¨ किया गया। अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤µà¤•à¥à¤° ऋषि अपने पिता कि शà¥à¤°à¤¾à¤ª अपने पिता कि शà¥à¤°à¤¾à¤ª दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ८ अंगो से टेà¥à¥‡-मेà¥à¥‡ पैदा हà¥à¤ थे, किनà¥à¤¤à¥ वे बहà¥à¤¤ हे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤‚थो का पर पा लिया था। सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤µà¤•à¥à¤° ने राजा जनक को जीवन का सारà¥à¤¥à¤• अरà¥à¤¥ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ गया है। संसार में सà¤à¥€ धरà¥à¤®à¥‹ का अपना महतà¥à¤µ है तथा सà¤à¥€ मानवता के लिठमहनीय है, किनà¥à¤¤à¥ ततà¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ के दरà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से उपनिषद अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® है। उपनिषदों का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¥à¤¯ à¤à¤• हे सत ततà¥à¤µ अथवा बà¥à¤°à¤¹à¤® है यधपि कथनी शैली अलग है। उनमे जगत जीवन जीवातà¥à¤®à¤¾ और आतà¥à¤®à¤¾ ( परमातà¥à¤®à¤¾ ) की तातà¥à¤µà¤¿à¤• विवेचना और मीमांसा है और यतà¥à¤° ततà¥à¤° दिवà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤à¥‚ति के उदगार है।
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